दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हैट्रिक लगाकर इतिहास रचने वाली वंदना कटारिया का जीवन संघर्ष भरा रहा है। वंदना ओलिंपिक ट्रेनिंग के लिए बेंगलुरु पहुंचीं थीं तभी उनके पिता का निधन हो गया। इस दौरान कोरोना की वजह से वो अपने पिता के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो सकीं थीं।
हरिद्वार के रोशनाबाद की रहने वाली वंदना कटारिया को खो-खो खेलना पसंद था लेकिन उनके कोच कृष्ण कुमार ने उन्हें 11 वर्ष की उम्र में हॉकी स्टिक थमाई और उसके बाद से वंदना ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2007 में उन्हें भारतीय जूनियर टीम में जगह मिली, जिसके बाद अपने दमदार प्रदर्शन से साल 2010 में उन्होंने भारतीय सीनियर टीम में जगह बना ली। अब तक वो कई मेडल जीत चुकी हैं। वे पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं जिनके नाम हैट्रिक है।
वंदना कटारिया की मां ने कहा- मेडल लेकर लौटेगी बेटी वंदना कटारिया की मां सौरण देवी ने कहा, ‘मैं यह चाहती हूं कि मेरी बेटी जीत कर आए और देश का नाम रोशन करे। वंदना के पापा ने कहा था कि बेटी मेरा एक सपना है कि तू जीत कर आए। वंदना ने कहा था कि कि पापा का सपना था और मैं जीत कर आऊंगी। अब लग रहा है कि वह सपना पूरा होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है की गोल्ड मेडल जीत कर आएगी.’
जूनियर वर्ल्ड कप में दागे थे 5 गोल: वंदना ने जूनियर वर्ल्ड कप 2013 में 5 गोल दागकर ब्रॉन्ज मैडल जीता था। वो टॉप स्कोरर रही थीं। साल 2014 में कोरिया में हुए 17वें एशियन गेम्स में वंदना ने कांस्य पदक अपने नाम किया और फिर साल 2016 में चौथे एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। दो साल बाद यानी 2018 में एशियाई खेलों में रजत पदक उनके नाम रहा।
परिवार की उम्मीदें: वंदना के परिवार में खुशी का माहौल है। वो अपने परफॉर्मेंस से पूरे देश के लिए इतिहास रचने में लगी हुई हैं। उनके परिवार के लोगों को उम्मीद है कि भारतीय टीम के साथ वंदना गोल्ड मेडल जीतकर लाएंगी। परिवार के मुताबिक वंदना और भारतीय टीम का परफॉर्मेंस जैसा चल रहा है उससे निश्चित रूप से भारतीय टीम गोल्ड मेडल जीतेगी।
पिता का सपना : वंदना के पिता ने दुनिया की परवाह न करते हुए अपनी बेटी को अपने सपने पुरे करने की इजाजत दी थी ऐसे में वंदना ने भी अपने पिता के संघर्षो की कीमत अदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पिता नाहर सिंह का सपना था कि उनकी बेटी देश के लिए खेलते हुए ओलंपिका गोल्ड मेडल जीते। दो महीने पहले ही उनका निधन हो गया और अब वो इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनका सपना पूरा होता दिख रहा है।
वंदना कटारिया भारतीय हॉकी टीम की कैप्टन भी रह चुकी हैं। भारतीय महिला हॉकी टीम गोल्ड मेडल से मात्र दो कदम दूर है। भारत की हॉकी टीम ओलंपिक में सेमीफाइनल में पहुंच चुकी है।