यूक्रेन पर हमले को लेकर नाराजगी के कारण पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं। इस बीच रूस की तेल कंपनियों ने भारत को आकर्षक ऑफर दिया है। रूस की तेल कंपनियां भारत को 25-27 प्रतिशत तक की छूट पर तेल ऑफर कर रही हैं।
इन प्रतिबंधो के अंतर्गत रूस के कई बैंकों को अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग सिस्टम स्विफ्ट बैंकिंग सिस्टम से हटा दिया गया है जिसके बाद रूस के लिए अन्य देशों के साथ व्यापार करना मुश्किल हो गया है।
रूस की सबसे बड़ी सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्ट से भारत अधिक मात्रा में कच्चा तेल खरीदता है। दिसंबर 2021 में जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आए थे तब रोसनेफ्ट और इंडिया ऑयल कॉर्पोरेशन ने 2022 के अंत तक नोवोरोस्सिएस्क बंदरगाह के जरिए भारत को 2 करोड़ टन तक तेल की आपूर्ति के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किया था।
भारत मध्य-पूर्व पर तेल खरीद के लिए निर्भर है लेकिन वो अमेरिका और रूस जैसे देशों से तेल खरीद बढ़ाने की तरफ आगे बढ़ रहा है ताकि तेल के आयात में विविधता आए।
भारी डिस्काउंट ऑफर :
रूसी तेल कंपनियां ब्रेंट क्रूड ऑयल की पुरानी कीमतों पर 25-27 फीसदी की छूट दे रही हैं। रूसी कंपनियों द्वारा भारी छूट का संकेत देते हुए एक सूत्र ने कहा, ‘प्रस्ताव आकर्षक है।लेकिन अभी भी कोई संकेत नहीं है कि तेल खरीद का भुगतान कैसे किया जाएगा.’
प्रतिबंधो के चलते रूस से तेल खरीदना कई देशों को नाराज कर सकता है क्योंकि वो इसे रूस को वित्तीय सहायता देने के रूप में भी देख सकते हैं।
रूस के कच्चे तेल को बड़ा घाटा :
प्रतिबंध से पहले रूस के कच्चे तेल की कीमत 11.60 बैरल नीचे चली गई थी। इसके बावजूद भी रूस के कच्चे तेल की बोली नहीं लगी क्योंकि रूस पर संभावित प्रतिबंधों को देखते हुए रूस के तेल को खरीददार नहीं मिला।
रूस के साथ व्यापार करना हुआ मुश्किल :
रूस के कई बैंकों को स्विफ्ट बैंकिंग सिस्टम से निकाल दिया गया है जिस कारण रूस के साथ व्यापार करना विश्व के अन्य देशों के लिए कठिन हो गया है। भारत की सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक रूस से अपने आयात के भुगतान के लिए वैकल्पिक रास्ते खोज रहे हैं। भारत बैंकों और कंपनियों से इसे लेकर कोई रास्ता निकालने को लेकर बात कर रहा है।
बैंकों ने रूस से व्यापार के लिए भारत और रूस की मुद्रा में व्यापार करना यानी रुपया-रूबल व्यापार खाते को सक्रिय करने का एक विकल्प सुझाया है।
प्रतिबंधों का असर भारत पर भी :
युद्ध से भारत के व्यापार को भी कोई प्रत्यक्ष नुकसान नहीं होने वाला है लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से भारत पर युद्ध का काफी असर होने वाला है।
वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी नोमुरा के अनुसार, रूस, यूक्रेन और बेलारूस से भारत का व्यापार ज्यादा नहीं है। भारत के कुल निर्यात का 1 प्रतिशत और कुल आयात का 2.1 प्रतिशत इन देशों से जुड़ा है। लेकिन रूस पर प्रतिबंधों का असर भारत पर भी होगा।