लोकसभा से OBC आरक्षण के लिए संविधान संशोधन बिल पारित हो गया है। मत विभाजन के जरिए ये बिल संसद से पास हुआ है। इस बिल के पक्ष में 385 वोट पड़े, जबकि विरोध में कोई वोट नहीं पड़ा। नियम के मुताबिक कम से कम दो-तिहाई बहुमत से बिल पारित हो गया।
OBC आरक्षण बिल के आने के बाद राज्य सरकारों को ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार मिल जाएगा और मराठा आरक्षण जैसे मसलों पर राज्य सरकारें फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होंगी। कांग्रेस समेत अन्य सभी विपक्षी दलों ने भी इस बिल का समर्थन किया है। विपक्षी दलों ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से बढ़ाने की मांग सदन में रखी है।
सविधान संशोधन पर विभिन पार्टियों की राय :
कांग्रेस : लोकसभा में कांग्रेस के नेता सदन अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 2018 में 102वां संविधान संशोधन लाया गया। आपने ओबीसी कमीशन बनाया लेकिन आपने राज्यों के अधिकारों का हनन किया। बहुमत की बाहुबली से आप सदन में मनमानी कर रहे हैं। प्रदेशों से जब आवाज उठने लगी और अधिकारों को न छीनने की आवाज उठाई जाने लगी तो आप इस रास्ते पर मजबूरन आए। चौधरी ने कहा कि हम इस बिल का समर्थन करते हैं और इसके साथ ही हम मांग करते हैं कि 50 फीसदी की बाध्यता पर कुछ किया जाए।
केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने दिया विपक्ष के सवालों का जवाब: विपक्षी सांसदों के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि जब 102वां संशोधन लाया गया था, तब भी कांग्रेस ने उसका समर्थन किया था। इसलिए अब कांग्रेस के पास सवाल उठाने का नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने मराठा आरक्षण पर कहा कि ये राज्य का विषय है और अब केंद्र ने उन्हें इस पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र कर दिया है।
AAP ने किया किसानो का समर्थन : AAP के सांसद भगवंत मान ने संविधान संशोधन बिल का समर्थन करते हुए कहा कि जब भी सरकार गरीब और पिछड़ों की भलाई के लिए कोई कदम उठाती है, AAP सरकार का समर्थन करती है। पंजाब में ज्यादातर आबादी ओबीसी है,जो खेतीबाड़ी करते है । इसलिए कृषि कानून वापस लिए जाएं ताकि ओबीसी का भला हो सके। अकाली दल सांसद हरसिमरत कौर बादल ने भी संविधान संशोधन का समर्थन किया। उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज भी उठाई।
सपा-बसपा की टिप्पणी : सपा सांसद अखिलेश यादव ने संविधान संशोधन बिल का समर्थन करते हुए कहा कि देश में दलितों-पिछड़ों को सबसे ज्यादा बीजेपी ने गुमराह किया है। अखिलेश ने मांग की है कि जातिगत जनगणना के आंकड़े साझा किए जाएं। बसपा सांसद रितेश पांडे ने कहा कि आरक्षण ने पिछड़े और एससी-एसटी लोगों को बहुत मदद की है। रितेश पांडे ने कहा कि सरकार एक तरफ ओबीसी समुदाय के उत्थान का ढिंढोरा पीट रही है और दूसरी तरफ जितनी भी सरकारी नौकरियां हैं वो कम की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि वोट लेने के लिए ओबीसी समुदाय को गुमराह किया जा रहा है.
जेडीयू ने किया जातिगत जनगणना का समर्थन : बिहार से जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह ने कहा कि सरकार की नीयत साफ है, जब रिव्यू पिटीशन रद्द हो गई तो सरकार संशोधन लेकर आई है। लेकिन हमारी सरकार से एक मांग है कि जब तक जातिगत जनगणना नहीं होगी,ओबीसी के साथ पूर्णत: न्याय नहीं होगा । उन्होंने 2022 में जातिगत जनगणना कराने की मांग रखी । सांसद अनुप्रिया सिंह पटेल ने लोकसभा में ओबीसी बिल का समर्थन करते हुए कहा कि ओबीसी जातियों की गणना की जाए। इस बिल के आने से उन पिछड़ी जातियों को न्याय मिलेगा, जिनकी पहचान भी नहीं हो पा रही थी।
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी संविधान संशोधन बिल का समर्थन किया,साथ ही पार्टी के सांसद विजय कुमार हांसदाक ने कहा कि जब प्राइवेटाइजेशन हो रहा है तो आरक्षण का क्या होगा।
DMK सांसद दयानिधि मारन ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि आप सारे अधिकार पीएम और गृहमंत्री के पास रखना चाहते हैं, इसलिए ऐसे हालात पैदा हुए हैं। वीपी सिंह ने मंडल आयोग लागू किया और बीजेपी ने उनकी कुर्सी ही छिनवा दी। दयानिधि मारन ने ओबीसी बिल को चुनाव से जोड़ते हुए कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि यूपी चुनाव हर साल हो, ताकि ज्यादा ओबीसी मंत्री बनाए।
तमिलनाडु की तरह ओबीसी आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से बढ़ाकर 69 फीसदी की जाए।
निर्दलीय सांसद सांसद नवनीत राणा ने कहा कि केंद्र सरकार ने ये बिल लाकर ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मैं महाराष्ट्र सरकार से अपील करूंगी कि दो दिन का अविधेशन बुलाकर ओबीसी समुदाय के साथ न्याय कीजिए। RLP सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि हम इस संविधान संशोधन बिल का समर्थन करते हैं। लेकिन अगर किसान और महंगाई पर चर्चा का समय मिल जाता तो अच्छा होता। पिछले 6 महीने से किसान आंदोलित हैं और ये सभी ओबीसी लोग हैं, इसलिए किसान बिल वापस ले लें।
टीडीपी सांसद के. राम मोहन नायडू ने अभी जो बिल लाकर किया जा रहा है इसका समर्थन करते हैं लेकिन अभी ओबीसी समाज के लिए काफी कुछ किया जाना बाकी है।
ओवैसी ने उठायी मुसलमानो के लिए आवाज :
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार ने ये बिल लाकर शाहबानो की परंपरा को बरकरार रखा है। ये सरकार ओबीसी के लिए नहीं है। जो मुसलमानों की बैकवर्ड कास्ट हैं उन्हें तेलंगाना में आरक्षण मिलता है लेकिन केंद्र में नहीं मिलता। महाराष्ट्र में मुसलमानों की वो 50 कास्ट जो पिछड़ी हैं उनकी कोई बात नहीं करता, सिर्फ मराठा आरक्षण की बात की जाती है। हमें सिर्फ इफ्तार की दावत और खजूर मिलेगा, आरक्षण आरक्षण नहीं मिलेगा.