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26-11-2008 /मुंबई हमले के 11 साल: मुंबई का काला दिन

26-11-2008मुंबई हमले

आज से 11 साल पहले 26 नवंबर 2008 को मुंबई में एक भयंकर घटना घटी थी। जिसकी दहशत आज भी लोगों के दिल में जिन्दा है।
इस दिन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई पर बम और गोलियों से हमला किया था । हमले में 160 से ज्यादा लोगों की जान गई थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
26- 11-2008 की दुखद कहानी :
1. आंतकियो की एंट्री : 10 हमलावर कराची से नाव के रास्ते मुंबई में घुसे थे। इस नाव पर चार भारतीय सवार थे, जिन्हें किनारे तक पहुंचते-पहुंचते ख़त्म कर दिया गया। रात के तकरीबन आठ बजे थे, जब ये हमलावर कोलाबा के पास कफ़ परेड के मछली बाजार पर उतरे। वहां से वे चार ग्रुपों में बंट गए और टैक्सी लेकर अपनी मंजिलों का रूख किया।

2. पुलिस की लापरवाही : आंतकियो की आपसी बातों को सुनकर कुछ मछुवारों को उनपर शक भी हुआ और उन्होंने पुलिस को जानकारी भी दी। लेकिन पुलिस ने उनकी बात को कोई खास अहमियत नहीं दी।

3. दो हमलावरों ने की 52 लोगों की हत्या : रात के तक़रीबन साढ़े नौ बजे मुंबई के ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर गोलीबारी की ख़बर मिली। दोनों हमलावरों में से एक मुहम्मद अजमल क़साब था जिसे अब फांसी दी जा चुकी है। दोनों के हाथ में एके47 राइफलें थीं और पंद्रह मिनट में ही उन्होंने 52 लोगों को मौत के घाट उतार दिया और 109 को ज़ख़्मी कर दिया।

4. मुंबई में कई जगह को बनाया था शिकार : दक्षिणी मुंबई का नामचीन रेस्त्रा लियोपोल्ड कैफे भी उन चंद जगहों में से एक था जो तीन दिन तक चले इस हमले के शुरुआती निशाने थे। गोलीबारी में मारे गए 10 लोगों में कई विदेशी भी शामिल थे जबकि बहुत से घायल भी हुए। 1871 से मेहमानों की ख़ातिरदारी कर रहे लियोपोल्ड कैफे की दीवारों में धंसी गोलियां हमले के निशान छोड़ गईं।
10:40 बजे विले पारले इलाके में एक टैक्सी को बम से उड़ाने की खबर मिली जिसमें ड्राइवर और एक यात्री मारा गया, तो इससे पंद्रह बीस मिनट पहले बोरीबंदर में इसी तरह के धमाके में एक टैक्सी ड्राइवर और दो यात्रियों की जानें जा चुकी थीं। तकरीबन 15 घायल भी हुए।

5. 26/11 के तीन बड़े आंतक : 26/11 के तीन बड़े मोर्चे थे मुंबई का ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस। जब हमला हुआ तो ताज में 450 और ओबेरॉय में 380 मेहमान मौजूद थे। खासतौर से ताज होटल की इमारत से निकलता धुंआ तो बाद में हमलों की पहचान बन गया।
6. लाइव मीडिया कवरेज से आतंकियों को मिली मदद: हमलों की अगली सुबह 27 नवंबर को खबर आई कि ताज से सभी बंधकों को छुड़ा लिया गया है, लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ा तो पता चला हमलावरों ने कुछ और लोगों को अभी बंधक बना रखा है जिनमें कई विदेशी भी शामिल हैं। हमलों के दौरान दोनों ही होटल रैपिड एक्शन फोर्ड ,मैरीन कमांडो और नेशनल सिक्युरिटी गार्ड कमांडो से घिरे रहे। एक तो एनएसजी कमांडो के देर से पहुंचने के लिए सुरक्षा तंत्र की खिंचाई हुई तो हमलों की लाइव मीडिया कवरेज ने भी आतंकवादियों की ख़ासी मदद की। कहां क्या हो रहा है, सब उन्हें अंदर टीवी पर दिख रहा था।

7. लगातार 3 दिन तक आतंकियों का कहर रहा जारी : तीन दिन तक सुरक्षा बल आतंकवादियों से जूझते रहे। इस दौरान, धमाके हुए, आग लगी, गोलियां चली और बंधकों को लेकर उम्मीद टूटती जुड़ती रही और ना सिर्फ भारत से सवा अरब लोगों की बल्कि दुनिया भर की नज़रें ताज, ओबेरॉय और नरीमन हाउस पर टिकी रहीं।

8. हमले के वक्त होटल में मौजूद थे कई जाने माने लोग : हमले के वक्त ताज में अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर यूरोपीय संघ की संसदीय समिति के कई सदस्य भी शामिल थे, हालांकि इनमें से किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ। हमलों की जब शुरुआत हुई तो यूरोपीय संसद के ब्रिटिश सदस्य सज्जाद करीम ताज की लॉबी में थे तो जर्मन सांसद एरिका मान को अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर छिपना पड़ा। ओबेरॉय में मौजूद लोगों में भी कई जाने माने लोग थे। इनमें भारतीय सांसद एनएन कृष्णादास भी शामिल थे जो ब्रिटेन के जाने माने कारोबारी सर गुलाम नून के साथ डिनर कर रहे थे।

9. हमलावरों ने नरीमन पॉइंट पर भी किया कब्जा : दो हमलावरों ने मुंबई में यहूदियों के मुख्य केंद्र नरीमन पॉइंट को भी कब्ज़े में ले रखा था। लोगों को बंधक बनाया गया। फिर एनएसजी के कमांडोज़ ने नरीमन हाउस पर धावा बोला और घंटों चली लड़ाई के बाद हमलावरों का सफ़ाया किया गया लेकिन एक एनएसजी कमांडो की भी जान गई। हमलावरों ने इससे पहले ही रब्बी गैव्रिएल होल्ट्जबर्ग और छह महीने की उनकी गर्भवती पत्नी रिवकाह होल्ट्जबर्ग समेत कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया। बाद में सुरक्षा बलों को वहां से कुल छह बंधकों की लाशें मिली।

10. 160 से ज्यादा लोगों को गवानी पड़ी जान : 29 नवंबर की सुबह तक नौ हमलावरों का सफाया हो चुका था और अजमल क़साब के तौर पर एक हमलावर पुलिस की गिरफ्त में था। स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में आ चुकी थी लेकिन लगभग 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी थी।

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